Doodh Ganga Yojana – कैसे करें आवेदन हिमाचल प्रदेश में डेयरी फार्मिंग बिजनेस लोन के लिए। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने राज्य में दुग्ध उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इसके तहत, दूध उत्पादन से जुड़े किसान और उद्यमियों के लिए 2010 से Doodh Ganga Yojana का संचालन ऐतिहासिक महत्व रखता है।
दूध गंगा योजना के माध्यम से दूध उत्पादन से संबंधित कार्यों में लगे नागरिकों को 30 लाख रुपये तक का लोन अत्यधिक कम ब्याज दर पर दिया जाता है, जिससे छोटे डेयरी फार्म संगठित रूप से विकसित किए जा सकें। यदि आप हिमाचल प्रदेश के निवासी हैं और Doodh Ganga Yojana 2025 के बारे में सभी आवश्यक जानकारियों को जानना चाहते हैं जैसे कि इसके उद्देश्य, लाभ और विशेषताएं, पात्रता, आवश्यक दस्तावेज, आवेदन प्रक्रिया आदि, तो कृपया नीचे दिए गए लेख को पढ़ें।

Doodh Ganga Yojana 2025
हिमाचल प्रदेश सरकार ने दूध उत्पादन से जुड़े किसानों को 30 लाख रुपये तक का ऋण देने के लिए भव्य योजना की स्थापना की है। यह योजना 2010 में भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा डेयरी उद्यम पूंजी योजना के तहत शुरू की गई थी, जिसे बाद में योजना का नाम बदलकर दूध गंगा योजना रखा गया। यह योजनात्मक प्रणाली पहले ब्याज मुक्त ऋण देने में केंद्रित थी, लेकिन अब इसे विकसित करते हुए ऋण राशि पर सब्सिडी देने की प्रक्रिया में परिवर्तित किया गया है। “हिमाचल प्रदेश बेरोजगारी भत्ता योजना” में आवेदन करने के लिए यहां क्लिक करें
Doodh Ganga Yojana 2025 का प्राथमिक लक्ष्य दुग्ध उत्पादन को आधुनिक बनाना है, जिससे पारंपरिक तरीकों से काम कर रहे पशुपालकों को आधुनिक तकनीकी संसाधनों से जोड़ा जा सके। योजना के तहत प्रतिवर्ष 350 लाख लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
Doodh Ganga Yojana 2025 के बारे में जानकारी
योजना का नाम | Doodh Ganga Yojana |
शुरू की गई | भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा |
आरंभ वर्ष | सन् 2010 |
लाभार्थी | दुग्ध उत्पादक उद्योग के लोग |
उद्देश्य | ऋण उपलब्ध कराना |
ऋण की राशि | 30 लाख रुपये तक |
साल | 2025 |
राज्य | हिमाचल प्रदेश |
अधिकारिक वेबसाइट | http://hpagrisnet.gov.in/ |
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Doodh Ganga Yojana 2025 के तहत ऋण विवरण
- 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए पशुपालक किसानों को ₹500000 तक का ऋण प्रदान किया जाता है।
- 5 से 20 बछड़ों के पालन के लिए ₹4.80 लाख तक का ऋण उपलब्ध है।
- वर्मी कंपोस्ट के लिए 0.20 लाख रुपये का ऋण प्रदान किया जाता है।
- दूध दोहने की मशीन एवं बड़े दूध कूलर इकाई (2000 लीटर तक) के लिए ₹18.00 लाख का ऋण दिया जाता है।
- दूध से बने उत्पादों के पालन के लिए 12.00 लाख रुपये का ऋण दिया जाएगा।
- दूध उत्पादों की ढुलाई एवं कोल्ड चैन सुविधा हेतु 24.00 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा।
- दूध व दूध उत्पादों के शीत भंडारण (कोल्ड स्टोरेज) के लिए 30.00 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध है।
- प личी पशु चिकित्सा इकाइयों के लिए ऋण व्यवस्था में शामिल हैं:
- मोबाइल इकाई के लिए 2.40 लाख रुपये का ऋण।
- स्थाई इकाई के लिए 1.80 लाख रुपये तक का ऋण।
- दूध उत्पाद बेचने के लिए बूथ निर्माण हेतु 0.56 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध किया जाएगा।
दूध गंगा योजना के तहत प्रदान की जाने वाली सब्सिडी
राज्य के पशुपालकों को उचित ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है, जिसके उपरांत सरकार द्वारा सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। सब्सिडी की राशि ST/SC वर्ग के लिए 33% और सामान्य वर्ग के लिए 25% होती है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा देसी गाय/भैंस पर 20% और जर्सी गाय पर 10% की अतिरिक्त सब्सिडी उपलब्ध की जाती है।
स्वयं सहायता समूह को 50% ब्याज दर में छूट
सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह को 10 दूधारू पशुओं के लिए स्थापित करने हेतु Doodh Ganga Yojana 2025 के माध्यम से ₹300000 तक का ऋण प्रदान किया जाता है, जिस पर उन्हें 50% ब्याज दर में छूट मिलेगी।
प्रदेश में डेयरी फार्म और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना
मत्स्य पालन एवं पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर जी के अनुसार, दूध गंगा योजना 2025 के तहत हिमाचल प्रदेश में डेयरी फार्म के आधुनिकीकरण के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने भी इस संबंध में समर्थन दिया है, जिससे कि कई स्थलों पर आधुनिक डेयरी फार्म एवं प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण किया जाएगा।
Doodh Ganga Yojana 2025 का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे डेयरी फार्मों को बड़े व्यवसायों में बदलना है। ताकि डेयरी से जुड़ें कार्यकर्ताओं को उचित लोन के साथ-साथ सब्सिडी प्रदान की जा सके। इस योजना के माध्यम से आधुनिक तकनीकों से किसान जुड़ सकें और उत्तम नस्ल के दूधारू पशु तैयार कर सकें। इसके अलावा, यह योजना 10 हजार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 50 हजार ग्रामीण परिवारों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का भी लक्ष्य रखती है।
हिमाचल प्रदेश दूध गंगा योजना 2025 के लाभ एवं विशेषताएं
- इस योजना को भारत की पशुपालन विभाग द्वारा राष्ट्र कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से शुरू किया गया था।
- यह हिमाचल प्रदेश के छोटे फार्मिंग उद्योगों को बड़े व्यवसायों में बदलने के लिए प्रेरित करती है।
- Doodh Ganga Yojana 2025 के अंतर्गत दूध उत्पादन में लगे व्यक्तियों को 30 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है।
- किसान और पशुपालकों को दिए गए लोन पर सब्सिडी दी जाती है; SC/ST वर्ग के लिए 33% और सामान्य वर्ग के लिए 25%।
- इसके अतिरिक्त, स्थानीय स्तर पर गाय/भैंस खरीदने पर 20% और जर्सी गाय पर 10% की सब्सिडी दी जाती है।
- यह योजना उत्कृष्ट नस्ल के दूधारू पशुओं को तैयार करने में सहायता करेगी।
- इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और असंगठित डेयरी क्षेत्र को सहायता मिलेगी।
- राज्य में प्रतिवर्ष 350 लाख लीटर दूध उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
Doodh Ganga Yojana 2025 के तहत आवेदन हेतु पात्रता
- दूध उत्पादन से जुड़े आवेदक को हिमाचल प्रदेश का स्थाई निवासी होना चाहिए।
- व्यक्ति विशेष, स्वयं सहायता समूह, गैर सरकारी संगठन, दुग्ध संगठन, सहकारी समितियां आदि उन लोगों के लिए पात्र हैं जो दूध गंगा योजना 2025 का लाभ उठाना चाहते हैं।
- यहां एक परिवार के एक से अधिक सदस्य अपनी अलग-अलग इकाइयों के लिए आवेदन कर सकते हैं बशर्ते कि उनकी इकाइयाँ कम से कम 500 मीटर की दूरी पर हों।
Doodh Ganga Yojana 2025 के तहत आवेदन कैसे करें?
- अधिकारी वेबसाइट पर जाकर हिमाचल प्रदेश की Department Of Animal Husbandry की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- वेबसाइट का होमपेज खुलने के बाद, आप दूध गंगा योजना के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- इसके बाद, आप योजना के लाभ के लिए आवेदन कर सकते हैं।