रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 11 अगस्त, 2024 को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में उच्च उपज देने वाली, जलवायु अनुकूल और जैव-सशक्त फसलों की 109 नई किस्में जारी की हैं।
यह पहल भारतीय कृषि के भविष्य को सुदृढ़ करने और किसानों की आय में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस लेख में हम आपको उन सभी 109 किस्मों की पूरी सूची प्रदान करेंगे, जिनमें 34 खेती की फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं।
🔹Prime Minister @narendramodi will release 109 high-yielding, climate-resilient, and biofortified varieties of crops
🔹PM will also interact with the farmers and scientists on the occasion
📍India Agricultural Research Institute, New Delhi
🗓️11th August, 2024Details:… pic.twitter.com/GKmxJpvzPf
— PIB India (@PIB_India) August 10, 2024
109 High Yielding Varieties of Crops – जारी किस्मों की सूची
खेती की फसलें
इन 34 किस्मों में मोटे अनाज, तिलहन, दलहन, चारा फसलें, गन्ना, कपास, रेशा, और अन्य संभावित फसलों के बीज शामिल हैं, जो उच्च उपज और जलवायु अनुकूलता को ध्यान में रखकर विकसित किए गए हैं। ये किस्में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त हैं और किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर आय प्राप्त करने में सहायता करेंगी।
- मोटे अनाज: नई किस्में जिनमें जलवायु अनुकूलता के साथ-साथ अधिक उपज देने की क्षमता भी है।
- तिलहन: विभिन्न तिलहन फसलों की उन्नत किस्में जो तेल उत्पादन में वृद्धि करेंगी।
- दलहन: चना, अरहर, मूंग, मसूर आदि की नई किस्में जो न केवल उच्च उपज देंगी बल्कि पोषण भी बढ़ाएंगी।
- चारा फसलें: पशुपालन के लिए उपयोगी फसलें जो उच्च गुणवत्ता का चारा प्रदान करेंगी।
- गन्ना, कपास और रेशा: इन फसलों की नई किस्में किसानों को अधिक आय और निर्यात के अवसर प्रदान करेंगी।
उप-श्रेणियाँ | संख्या |
---|---|
अनाज | 23 |
चावल | 9 |
गेहूं | 2 |
जौ | 1 |
मक्का | 6 |
ज्वार | 1 |
बाजरा | 1 |
रागी (फिंगर मिलेट) | 1 |
चेना (परोसो मिलेट) | 1 |
सांवा (बार्न्यार्ड मिलेट) | 1 |
दालें | 11 |
चना | 2 |
अरहर | 2 |
मसूर | 3 |
मटर | 1 |
फबाबीन | 1 |
मूंग | 2 |
तिलहन | 7 |
कुसुम | 2 |
सोयाबीन | 2 |
मूंगफली | 2 |
तिल | 1 |
चारा फसलें | 7 |
चारा बाजरा | 1 |
बरसीम | 1 |
जई | 2 |
चारा मक्का | 2 |
चारा ज्वार | 1 |
गन्नाफ फसलें | 4 |
गन्ना | 4 |
रेशे वाली फसलें | 6 |
कपास | 5 |
जूट | 1 |
क्षमतावान फसलें | 11 |
कुटू | 1 |
चौलाई | 4 |
विंग्ड बीन | 1 |
अडजुकी बीन (लाल मूंग) | 1 |
पिल्लिपेसरा (जंगली मोठ) | 1 |
कलिंगडा | 1 |
पेरिला (भाँजिरा) | 2 |
बागवानी फसलें
प्रधानमंत्री द्वारा जारी की गई 27 बागवानी फसलों की किस्में भी उच्च उपज और जलवायु अनुकूलता की विशेषताओं से युक्त हैं। इनमें फल, सब्जियाँ, कंद फसलें, मसाले, फूल और औषधीय पौधों की नई किस्में शामिल हैं।
- फल: आम, अनार, अमरूद आदि की नई किस्में जिनसे स्वाद और उत्पादन दोनों में वृद्धि होगी।
- सब्जियाँ: टमाटर, भिण्डी, लौकी जैसी सब्जियों की नई किस्में जो स्वास्थ्यवर्धक और अधिक उत्पादन करने वाली हैं।
- कंद फसलें: आलू और अन्य कंद फसलों की किस्में जो किसानों को अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता प्रदान करेंगी।
- मसाले: नई किस्में जो भारतीय भोजन में स्वाद और सुगंध को और बेहतर बनाएंगी।
- फूल और औषधीय पौधे: ये किस्में न केवल सुंदरता बढ़ाएँगी बल्कि औषधीय गुणों के कारण भी उपयोगी होंगी।
उप-श्रेणियाँ | संख्या |
---|---|
फल | 8 |
आम | 3 |
अनार | 1 |
अमरूद | 2 |
बेल | 1 |
पोमेलो | 1 |
सब्जी फसलें | 8 |
टमाटर | 2 |
लौकी | 1 |
भिण्डी | 2 |
सेम | 2 |
खरबूज | 1 |
तरबूज | 1 |
कंदीय फसलें | 3 |
आलू | 3 |
मसाले | 6 |
नेटमग | 1 |
छोटी इलायची | 2 |
सौंफ | 1 |
अजवाइन | 1 |
आम अदरक | 1 |
वृक्षारोपण फसलें | 6 |
कोको | 2 |
काजू | 2 |
नारियल | 2 |
फूल | 5 |
गेंदा | 1 |
रजनीगंधा | 1 |
क्रॉसेंड्रा | 1 |
ग्लेडियोलस | 2 |
औषधीय पौधे | 4 |
वेल्वेट बीन | 2 |
अश्वगंधा | 1 |
मंडूकपर्णी | 1 |
जैव-सशक्त और जलवायु अनुकूल फसलों की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम भारतीय कृषि में समावेशी खेती और जलवायु अनुकूल पद्धतियों को अपनाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन नई किस्मों के माध्यम से भारत को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा, क्योंकि ये फसलें मध्याह्न भोजन और आंगनबाड़ी जैसे सरकारी कार्यक्रमों से भी जुड़ी हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि कृषि के क्षेत्र में उठाए गए इन कदमों से किसानों को नई उद्यमिता के अवसर प्राप्त होंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी। उच्च उपज वाली 109 किस्मों को जारी करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस प्रकार, यह 109 high yielding varieties of crops न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक और महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।